My Hindi/Urdu translation of Charles Simic’s “The Wine”
जो भी तसल्ली है तुम्हारे पास मेरे लिए, पुरानी सुर्ख़ शराब के प्याले, फुसफुसा दो मेरे कान में मेरी हर चुस्की के साथ, और सिर्फ़ मेरे कान में यह वक़्त जो हो गया है संजीदा रेडियो की ख़बरों से, डूबते सूरज की बुझती आग से, और मेरे अहाते के दरख्तों से जो काले कोट पहन रहे हैं. (The Original) Whatever solace you have for me, Glass of old red wine, Whisper it into my ear With each little sip I…